नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने देश में लोकपाल की नियुक्ति की मांग करने वाली याचिकाओं पर आज अपना फैसला सुरक्षित रखा. न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘हमने सभी पक्षों की दलीलें सुनी हैं. फैसला सुरक्षित रखते हैं.’’ सुनवायी के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि मौजूदा हालात में लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो सकती क्योंकि लोकपाल कानून के तहत विपक्ष के नेता की परिभाषा से संबंधित संशोधन संसद में लंबित है.
लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के तहत लोकसभा में विपक्ष का नेता लोकपाल चयन पैनल का हिस्सा होगा. वर्तमान में लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं है.
उन्होंने कहा कि लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के पास सांसदों की पर्याप्त संख्या नहीं हैं इसलिए उन्हें नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं दिया गया.
रोहतगी ने कहा, ‘‘जब तक संसद में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को विपक्ष का नेता घोषित करने का कानून पारित नहीं हो जाता, लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो सकती.’’ एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने कहा, संसद ने लोकपाल विधेयक वर्ष 2013 में पारित कर दिया और वह वर्ष 2014 से प्रभावी हो गया, लेकिन सरकार जानबूझकर लोकपाल की नियुक्ति नहीं कर रही है.
उन्होंने कहा कि लोकपाल कानून अनिवार्य करता है कि लोकपाल की नियुक्ति अतिशीघ्र हो.
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लोकपाल और लोकायुक्त कानून 2013 के तहत लोकसभा में विपक्ष का नेता लोकपाल चयन पैनल का हिस्सा होगा. वर्तमान में लोकसभा में कोई नेता प्रतिपक्ष नहीं है.
उन्होंने कहा कि लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस के पास सांसदों की पर्याप्त संख्या नहीं हैं इसलिए उन्हें नेता प्रतिपक्ष का पद नहीं दिया गया.
रोहतगी ने कहा, ‘‘जब तक संसद में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को विपक्ष का नेता घोषित करने का कानून पारित नहीं हो जाता, लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो सकती.’’ एनजीओ कॉमन कॉज की ओर से पेश वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने कहा, संसद ने लोकपाल विधेयक वर्ष 2013 में पारित कर दिया और वह वर्ष 2014 से प्रभावी हो गया, लेकिन सरकार जानबूझकर लोकपाल की नियुक्ति नहीं कर रही है.
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